Wednesday 14 August 2024

मन की शक्ति

मन क्या है?

मन मानव, बुद्धि का ऐसा हिस्सा है जो ना केवल कल्पना करने बल्कि उसे साकार करने की शुरुआती संभावनाओं को पैदा करता है। प्राचीन समय के आध्यात्मिक गुरु, धर्मशास्त्री, मनोवैज्ञानिक और खगोल वैज्ञानिक इस एक नए आयाम का प्रवेश द्वार मानते है। अब तक के लगभग सभी महान आविष्कारक और वैज्ञानिक मन की शक्ति को जानते थे, उन्हें यह भी पता था कि इसका प्रयोग कैसे करना है। 

पहले वे अपने आसपास किसी कमी या आवश्यकता को खोजते फिर इस तरह एक चीज़ की कल्पना करते की वह चीज़ कैसी होनी चाहिए जो उनकी समस्या को सुलझा सके। शुरुवाती दौर में उस चीज़ के आकार और आवश्यकता के आधार पर ही विचार करते और जब उन्हें ठीक लगता तो उसे साकार करने के लिए उपयोगी भौतिक संसाधनों को जुटाने में लग जाते और फिर वह चीज़ जादुई रूप से दुनिया के सामने होती। वो लोग हर दिन ऐसा करते और हर उस चीज़ को पा लेते जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। ऐसा उन्होंने सिर्फ मन की शक्ति से किया।

प्राचीन विश्लेषण एवं अनुसंधानकर्ता मानते है कि मन वास्तविकता का आईना होता है। अगर आप किस चीज को मन में देख सकते है तो एक दिन वह वास्तविकता बन कर आपके सामने प्रकट हो जायेगी। मन के समक्ष प्रकाश की गति महज एक अपवाद है मन से तेज गति किसी और चीज की हो ही नही सकती। एक  महान आध्यात्मिक गुरु ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर आप अपने चित्त को छू ले तो आप ईश्वर बन जायेंगे। भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझते हुए कहते है कि हे अर्जुन जिस तरह इस रथ के अश्व को मैंने साध रखा है वैसे ही तू अपने मन को साध और युद्ध के लिए सज हो जा। 

मन तार्किक बुद्धि से परे है अर्थात मन का कार्य स्वतंत्र वैचारिक गतिविधि को बिना किसी तर्क के सुचारू रूप से क्रियान्वित करना है। सिर्फ तार्किक बुद्धि की चीज़ों और विचारों में भेद उत्पन्न करती है मन का कार्य विचारों को स्वतंत्र रूप से प्रसारित करना है। इसका न तो कोई आकार है और न ही भौतिक अस्तित्व है। यह न तो कही आता है और न जाता है। इसका न तो कोई अंत है और न ही प्रारंभ है। लेकिन यह बात स्पष्ट है कि यह बुद्धि को विचारों और चीज में भेद करने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसी से हम चीज़ों के रंग रूप आकार और प्रकार उपयोगिता व अनुपयोगिता वास्तविकता और अवस्तविकता के बारे में जान पाते है। मन के अभाव में बुद्धि को तार्किक क्षमता नहीं मिलती। इसलिए मन में उठने वाले विचारों से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि मन की वैचारिक शक्ति का उपयोग अपनी वास्तविकता को गढ़ने के लिए करे। हम उम्मीद करते है कि आपको हमारा यह संस्करण पसंद आया होगा। अपने दोस्तो के साथ शेयर करे। अगले संस्करण में हम मन के प्रयोग के बारे में जानेंगे। कमेंट करके हमे बताए की आपको हमारा यह संस्करण कैसा लगा। 

▲Third Master 



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