Wednesday 14 August 2024

कौन होगा भारत का अगला प्रधान मंत्री?

एक हिंदू गरीब परिवार के क्षत्रिय कुल में जन्मा कर्मो से ब्राह्मण भगवा धारण करने वाला संन्यासी जो हनुमानजी का अनन्य भक्त होगा। हाथ में तुलसी की माला धारण करने वाला, जनेऊधारी जो 38 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका होगा। जिसका कद 5'8" होगा। जो देखने में बहुत साधारण मानव होगा। वाणी से स्पष्ट बोलने वाला। जिसके कपाल को देख कर लोग मोहित हो जायेंगे। जिसके तर्क और बौद्धिक क्षमता के सामने कोई नही टिक सकेगा। जो पद सम्हालने के पूर्व ही भारत के आंतरिक मामलों को सुलझा लेगा। जो अपनी वाणी से दुश्मनों को भी अपने पक्ष में कर लेगा। जिसे सुनते ही युद्ध रुक जायेंगे। दुश्मन मित्र हो जायेंगे। जिसमे पंच महाभूतो को नियंत्रित करने की क्षमता होगी। जिसके समक्ष अस्त्र और शस्त्र निष्क्रिय हो जायेंगे। जिसमे परमाणु शास्त्रों को भी निष्क्रिय करने की क्षमता होगी। महान शास्त्रों और धर्म ग्रंथो मे लिखी गई विद्या का ज्ञाता। जमीन से सुदूर आंतरिक में देखने की जिसकी क्षमता होगी। जिसके समक्ष बलवान अपना बल, धनवान अपना धन, चालक व्यक्ति गुट और समूह अपना चातुर्य और बुद्धि खो देंगे, जिसका मन दया और करुणा से भरा होगा। दुष्टों को दंड देने वाला साधु और संतो का रक्षक। जिसके प्रभाव से परधर्मावलंबी अपना धर्म छोड़ देंगे। ऐसा साधारण दिखने वाला महान व्यक्ति भारत का अगला प्रधानमंत्री होगा। 

▲Third Master 



मन की शक्ति

मन क्या है?

मन मानव, बुद्धि का ऐसा हिस्सा है जो ना केवल कल्पना करने बल्कि उसे साकार करने की शुरुआती संभावनाओं को पैदा करता है। प्राचीन समय के आध्यात्मिक गुरु, धर्मशास्त्री, मनोवैज्ञानिक और खगोल वैज्ञानिक इस एक नए आयाम का प्रवेश द्वार मानते है। अब तक के लगभग सभी महान आविष्कारक और वैज्ञानिक मन की शक्ति को जानते थे, उन्हें यह भी पता था कि इसका प्रयोग कैसे करना है। 

पहले वे अपने आसपास किसी कमी या आवश्यकता को खोजते फिर इस तरह एक चीज़ की कल्पना करते की वह चीज़ कैसी होनी चाहिए जो उनकी समस्या को सुलझा सके। शुरुवाती दौर में उस चीज़ के आकार और आवश्यकता के आधार पर ही विचार करते और जब उन्हें ठीक लगता तो उसे साकार करने के लिए उपयोगी भौतिक संसाधनों को जुटाने में लग जाते और फिर वह चीज़ जादुई रूप से दुनिया के सामने होती। वो लोग हर दिन ऐसा करते और हर उस चीज़ को पा लेते जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। ऐसा उन्होंने सिर्फ मन की शक्ति से किया।

प्राचीन विश्लेषण एवं अनुसंधानकर्ता मानते है कि मन वास्तविकता का आईना होता है। अगर आप किस चीज को मन में देख सकते है तो एक दिन वह वास्तविकता बन कर आपके सामने प्रकट हो जायेगी। मन के समक्ष प्रकाश की गति महज एक अपवाद है मन से तेज गति किसी और चीज की हो ही नही सकती। एक  महान आध्यात्मिक गुरु ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर आप अपने चित्त को छू ले तो आप ईश्वर बन जायेंगे। भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझते हुए कहते है कि हे अर्जुन जिस तरह इस रथ के अश्व को मैंने साध रखा है वैसे ही तू अपने मन को साध और युद्ध के लिए सज हो जा। 

मन तार्किक बुद्धि से परे है अर्थात मन का कार्य स्वतंत्र वैचारिक गतिविधि को बिना किसी तर्क के सुचारू रूप से क्रियान्वित करना है। सिर्फ तार्किक बुद्धि की चीज़ों और विचारों में भेद उत्पन्न करती है मन का कार्य विचारों को स्वतंत्र रूप से प्रसारित करना है। इसका न तो कोई आकार है और न ही भौतिक अस्तित्व है। यह न तो कही आता है और न जाता है। इसका न तो कोई अंत है और न ही प्रारंभ है। लेकिन यह बात स्पष्ट है कि यह बुद्धि को विचारों और चीज में भेद करने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसी से हम चीज़ों के रंग रूप आकार और प्रकार उपयोगिता व अनुपयोगिता वास्तविकता और अवस्तविकता के बारे में जान पाते है। मन के अभाव में बुद्धि को तार्किक क्षमता नहीं मिलती। इसलिए मन में उठने वाले विचारों से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि मन की वैचारिक शक्ति का उपयोग अपनी वास्तविकता को गढ़ने के लिए करे। हम उम्मीद करते है कि आपको हमारा यह संस्करण पसंद आया होगा। अपने दोस्तो के साथ शेयर करे। अगले संस्करण में हम मन के प्रयोग के बारे में जानेंगे। कमेंट करके हमे बताए की आपको हमारा यह संस्करण कैसा लगा। 

▲Third Master 



महान भारत की उत्पत्ति (प्रथम संस्कार) Origin of The Great India Volume'1

महान भारत की उत्पत्ति (प्रथम संस्कार) Origin of The Great India Volume'1

यह संस्करण भारत में राजनीतिक उथल पुथल को रोकने और एक संतुलित लोकतान्त्रिक व्यवस्था के सन्दर्भ में एक प्रस्तावना है।  

वर्ष 2024 / अगस्त 

महान भारत 

यूक्रेन और रशिया के बीच विध्वंश और अंतहीन संघर्ष को डेढ़ साल बीत चुके है। इधर मिडिल ईस्ट में हमास हूती और हिजबुल्लाह सहित ईरान के अन्य प्रॉक्सी और कट्टरपंथी समूह इस्राल के अंत के लिए अंतिम और विनाशकारी नीतियों को गढ़ रहे  थे। भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में तख्तापलट की आड़ में हिन्दुओ का नरसंमहार जारी था। पाकिस्तान की जनता भी बांग्लादेश की तर्ज पर तख्तापलट करने के लिए 30 अगस्त का अल्टीमेटम दे चुकी थी। यूरोप के ब्रिटेन फ्रांस और अन्य देशो में इस्लामिक कट्टरपंथ अपनी जड़े फैला रहा था। अमेरिका - ईरान, चीन, और रूस के युद्ध के चक्रव्यूह में फसता जा रहा था। भारत के आंतरिक हालत भी सर पकड़ रहे थे। भारत के आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक हालातो की चिंता के बीच 77वे सवतंत्रता दिवस पर आतंकियों के हमले का अलर्ट आ चूका था लेकिन फिर भी भारत और भारत वासियो में देशभक्ति का जूनून बढ़ता जा रहा था। महान भारत की बागडोर अब भी एक महान नेता के हाथ में  है। इसलिए भारत के नागरिक निश्चिन्त होकर भारत के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता सामर्थ और कौशल दिखाकर दुनियाभर में अपना लोहा मनवा रहे  है। मैं इस महान भारत के उन चश्मदीद में से एक हु जो 90 के दशक से इसकी महानता का हिस्सा बना बैठा है। मुझे तार्किक अभिवयक्ति की आजादी भारतीय संविधान से उपहार में मिली लेकिन मैं सामान्य तार्किक अभिव्यक्ति से एक कदम आगे रहकर महान भारत में एक राजनीतिक और लोकतांत्रिक और क्रांति लाना चाहता हु। हम जल्द की इस प्रकाशन के अन्य संस्करण प्रकाशित करेंगे । जो भी व्यक्ति इस प्रकाशन और इसके अन्य संस्करण में वर्णित सभी प्रकार के कार्य को पूरा करेगा वही 2029 में महान भारत का प्रधानमंत्री होगा। यह हर भारतवासी के लिए एक गौरव भरा समय है। यह महान भारत की उत्पत्ति है। (Origin of The Great India.) 

लेखक 

विशाल सिंह सरवर 

(विश्लेषक एवं अनुसंधानकर्ता)