Tuesday, 25 November 2025

"दृश्य बदलने से अस्तित्व समाप्त नहीं होता।"

 क्षणों में बिखरी एक छोटी-सी यात्रा

बस जैसे ही रुकी, दरवाज़ा खुला, और मैं सड़क पर उतरा —
हवा ने मानो अपने स्पर्श से कहा,
“स्वागत है, तुम्हारी अगली अनुभूति यहाँ प्रतीक्षा कर रही है।”

मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ा और पहली ही दुकान पर रुक गया।
साधारण-सी जगह…
लोहे की उबलती केतली और चाय की सुगंध जो किसी पुरानी याद की तरह मन में उतर रही थी।

मैंने चाय ली।
पहला घूंट —
गर्म, मीठा, और बिल्कुल उसी क्षण में बसा हुआ।
जैसे समय थोड़ी देर के लिए मेरे लिए ठहर गया हो।

चाय पीते हुए मेरी नज़र सड़क पर पड़ी।
लोग आ रहे थे, जा रहे थे।
वाहन उसी निरंतर लय में बह रहे थे,
मानो कोई अदृश्य नदी हो, जिसमें हर इकाई अपनी-अपनी दिशा में यात्रा कर रही है।

मैंने उस दृश्य को देखा…
लेकिन असल में मैंने उसे घटते नहीं, चलते हुए स्क्रीन की तरह देखा।

एक क्षण — व्यक्ति दिखा,
अगले क्षण — वह ओझल।
लेकिन ओझल होने का अर्थ यह नहीं कि वह अस्तित्व से मिट गया।
वह बस मेरी दृष्टि की सीमा से परे चला गया।

और उसी पल मेरे भीतर एक खामोश-सा बोध उठा—

"दृश्य बदलने से अस्तित्व समाप्त नहीं होता।
मेरी दृष्टि सीमित हो सकती है,
लेकिन ब्रह्मांड नहीं।"

अचानक मुझे लगा कि
यह सड़क, यह लोग, यह वाहनों की धारा—
सब एक विशाल, अनंत कैनवास का छोटा-सा हिस्सा हैं,
जिसका आकार
मेरी सोच से भी व्यापक,
मेरी इन्द्रियों से भी दूर,
और मेरी समझ से भी विशाल है।

मैं चाय की आखिरी घूंट ले रहा था।
लेकिन उसके साथ ही
मैं अपने भीतर एक और घूंट भर रहा था—
अनुभूति का।

उस क्षण में,
मैं राहगीर भी था,
दर्शक भी था,
और खुद उसी अनंत दृश्य का एक चलता-फिरता अंश भी।

Monday, 9 June 2025

“Dynamic Time Influence”

 “Dynamic Time Influence” —

A flow of time that is not fixed, linear, or unidirectional, but constantly changing — and affects different aspects of life in different ways.

Let’s understand this more deeply:


🔹 Static vs Dynamic Time Influence

Static TimeDynamic Time
Time flows in a straight line: past → present → futureTime can flow fast, slow, or even in reverse (e.g., memories, déjà vu, foresight)
Its influence is the same on everyoneIts influence varies depending on the person, situation, mental state, and location
Cause → Effect is fixedCause and Effect can sometimes interchange (e.g., imagining the future changes present behavior)

🔷 Forms of Dynamic Time Influence:

1. Psychological Influence

  • When a person’s past influences their present decisions — but when and how this happens is unpredictable.

  • Example: A childhood trauma may cause trust issues in one person but may not affect another in the same way.

2. Situational Time Shift

  • Certain events alter the very experience of time.

    • In accidents, intense joy, or grief — time feels slow.

    • In a flow state — time feels fast.

  • Meaning: Time doesn’t flow the same for everyone.

3. Karmic Loop (Dynamic Karma Effect)

  • A single action might influence your future so profoundly that it seems to justify your past decisions.

  • That is, the future influences the present — similar to when people say:

    “I felt like this was meant to happen.”

4. Cultural/Collective Time Influence

  • The dynamic nature of time also affects collective experiences.

    • Pandemics, wars, revolutions — they reshape the course of time for entire societies.


🔮 In Summary: The Core of Dynamic Time Influence

Time is neither a straight line, nor just a ticking clock.
It is a living, shifting canvas where:

  • Sometimes the colors are bold

  • Sometimes they fade

  • And sometimes they reverse entirely

Wednesday, 14 August 2024

कौन होगा भारत का अगला प्रधान मंत्री?

एक हिंदू गरीब परिवार के क्षत्रिय कुल में जन्मा कर्मो से ब्राह्मण भगवा धारण करने वाला संन्यासी जो हनुमानजी का अनन्य भक्त होगा। हाथ में तुलसी की माला धारण करने वाला, जनेऊधारी जो 38 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका होगा। जिसका कद 5'8" होगा। जो देखने में बहुत साधारण मानव होगा। वाणी से स्पष्ट बोलने वाला। जिसके कपाल को देख कर लोग मोहित हो जायेंगे। जिसके तर्क और बौद्धिक क्षमता के सामने कोई नही टिक सकेगा। जो पद सम्हालने के पूर्व ही भारत के आंतरिक मामलों को सुलझा लेगा। जो अपनी वाणी से दुश्मनों को भी अपने पक्ष में कर लेगा। जिसे सुनते ही युद्ध रुक जायेंगे। दुश्मन मित्र हो जायेंगे। जिसमे पंच महाभूतो को नियंत्रित करने की क्षमता होगी। जिसके समक्ष अस्त्र और शस्त्र निष्क्रिय हो जायेंगे। जिसमे परमाणु शास्त्रों को भी निष्क्रिय करने की क्षमता होगी। महान शास्त्रों और धर्म ग्रंथो मे लिखी गई विद्या का ज्ञाता। जमीन से सुदूर आंतरिक में देखने की जिसकी क्षमता होगी। जिसके समक्ष बलवान अपना बल, धनवान अपना धन, चालक व्यक्ति गुट और समूह अपना चातुर्य और बुद्धि खो देंगे, जिसका मन दया और करुणा से भरा होगा। दुष्टों को दंड देने वाला साधु और संतो का रक्षक। जिसके प्रभाव से परधर्मावलंबी अपना धर्म छोड़ देंगे। ऐसा साधारण दिखने वाला महान व्यक्ति भारत का अगला प्रधानमंत्री होगा। 

▲Third Master 



मन की शक्ति

मन क्या है?

मन मानव, बुद्धि का ऐसा हिस्सा है जो ना केवल कल्पना करने बल्कि उसे साकार करने की शुरुआती संभावनाओं को पैदा करता है। प्राचीन समय के आध्यात्मिक गुरु, धर्मशास्त्री, मनोवैज्ञानिक और खगोल वैज्ञानिक इस एक नए आयाम का प्रवेश द्वार मानते है। अब तक के लगभग सभी महान आविष्कारक और वैज्ञानिक मन की शक्ति को जानते थे, उन्हें यह भी पता था कि इसका प्रयोग कैसे करना है। 

पहले वे अपने आसपास किसी कमी या आवश्यकता को खोजते फिर इस तरह एक चीज़ की कल्पना करते की वह चीज़ कैसी होनी चाहिए जो उनकी समस्या को सुलझा सके। शुरुवाती दौर में उस चीज़ के आकार और आवश्यकता के आधार पर ही विचार करते और जब उन्हें ठीक लगता तो उसे साकार करने के लिए उपयोगी भौतिक संसाधनों को जुटाने में लग जाते और फिर वह चीज़ जादुई रूप से दुनिया के सामने होती। वो लोग हर दिन ऐसा करते और हर उस चीज़ को पा लेते जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। ऐसा उन्होंने सिर्फ मन की शक्ति से किया।

प्राचीन विश्लेषण एवं अनुसंधानकर्ता मानते है कि मन वास्तविकता का आईना होता है। अगर आप किस चीज को मन में देख सकते है तो एक दिन वह वास्तविकता बन कर आपके सामने प्रकट हो जायेगी। मन के समक्ष प्रकाश की गति महज एक अपवाद है मन से तेज गति किसी और चीज की हो ही नही सकती। एक  महान आध्यात्मिक गुरु ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर आप अपने चित्त को छू ले तो आप ईश्वर बन जायेंगे। भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझते हुए कहते है कि हे अर्जुन जिस तरह इस रथ के अश्व को मैंने साध रखा है वैसे ही तू अपने मन को साध और युद्ध के लिए सज हो जा। 

मन तार्किक बुद्धि से परे है अर्थात मन का कार्य स्वतंत्र वैचारिक गतिविधि को बिना किसी तर्क के सुचारू रूप से क्रियान्वित करना है। सिर्फ तार्किक बुद्धि की चीज़ों और विचारों में भेद उत्पन्न करती है मन का कार्य विचारों को स्वतंत्र रूप से प्रसारित करना है। इसका न तो कोई आकार है और न ही भौतिक अस्तित्व है। यह न तो कही आता है और न जाता है। इसका न तो कोई अंत है और न ही प्रारंभ है। लेकिन यह बात स्पष्ट है कि यह बुद्धि को विचारों और चीज में भेद करने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसी से हम चीज़ों के रंग रूप आकार और प्रकार उपयोगिता व अनुपयोगिता वास्तविकता और अवस्तविकता के बारे में जान पाते है। मन के अभाव में बुद्धि को तार्किक क्षमता नहीं मिलती। इसलिए मन में उठने वाले विचारों से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि मन की वैचारिक शक्ति का उपयोग अपनी वास्तविकता को गढ़ने के लिए करे। हम उम्मीद करते है कि आपको हमारा यह संस्करण पसंद आया होगा। अपने दोस्तो के साथ शेयर करे। अगले संस्करण में हम मन के प्रयोग के बारे में जानेंगे। कमेंट करके हमे बताए की आपको हमारा यह संस्करण कैसा लगा। 

▲Third Master 



महान भारत की उत्पत्ति (प्रथम संस्कार) Origin of The Great India Volume'1

महान भारत की उत्पत्ति (प्रथम संस्कार) Origin of The Great India Volume'1

यह संस्करण भारत में राजनीतिक उथल पुथल को रोकने और एक संतुलित लोकतान्त्रिक व्यवस्था के सन्दर्भ में एक प्रस्तावना है।  

वर्ष 2024 / अगस्त 

महान भारत 

यूक्रेन और रशिया के बीच विध्वंश और अंतहीन संघर्ष को डेढ़ साल बीत चुके है। इधर मिडिल ईस्ट में हमास हूती और हिजबुल्लाह सहित ईरान के अन्य प्रॉक्सी और कट्टरपंथी समूह इस्राल के अंत के लिए अंतिम और विनाशकारी नीतियों को गढ़ रहे  थे। भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में तख्तापलट की आड़ में हिन्दुओ का नरसंमहार जारी था। पाकिस्तान की जनता भी बांग्लादेश की तर्ज पर तख्तापलट करने के लिए 30 अगस्त का अल्टीमेटम दे चुकी थी। यूरोप के ब्रिटेन फ्रांस और अन्य देशो में इस्लामिक कट्टरपंथ अपनी जड़े फैला रहा था। अमेरिका - ईरान, चीन, और रूस के युद्ध के चक्रव्यूह में फसता जा रहा था। भारत के आंतरिक हालत भी सर पकड़ रहे थे। भारत के आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक हालातो की चिंता के बीच 77वे सवतंत्रता दिवस पर आतंकियों के हमले का अलर्ट आ चूका था लेकिन फिर भी भारत और भारत वासियो में देशभक्ति का जूनून बढ़ता जा रहा था। महान भारत की बागडोर अब भी एक महान नेता के हाथ में  है। इसलिए भारत के नागरिक निश्चिन्त होकर भारत के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता सामर्थ और कौशल दिखाकर दुनियाभर में अपना लोहा मनवा रहे  है। मैं इस महान भारत के उन चश्मदीद में से एक हु जो 90 के दशक से इसकी महानता का हिस्सा बना बैठा है। मुझे तार्किक अभिवयक्ति की आजादी भारतीय संविधान से उपहार में मिली लेकिन मैं सामान्य तार्किक अभिव्यक्ति से एक कदम आगे रहकर महान भारत में एक राजनीतिक और लोकतांत्रिक और क्रांति लाना चाहता हु। हम जल्द की इस प्रकाशन के अन्य संस्करण प्रकाशित करेंगे । जो भी व्यक्ति इस प्रकाशन और इसके अन्य संस्करण में वर्णित सभी प्रकार के कार्य को पूरा करेगा वही 2029 में महान भारत का प्रधानमंत्री होगा। यह हर भारतवासी के लिए एक गौरव भरा समय है। यह महान भारत की उत्पत्ति है। (Origin of The Great India.) 

लेखक 

विशाल सिंह सरवर 

(विश्लेषक एवं अनुसंधानकर्ता)

Thursday, 23 November 2023

युद्ध की कीमत मानवता का अंत (भविष्यवाणी .)

विश्व की महान शक्तियां युद्ध में बुरी तरह उलझ गई है। रूस और अमेरिका जो कि विश्व और अन्य देशों की दिशा तय करते थे, वे अब युद्ध के बोझ को सहन नही कर पा रहे। इसका फायदा मुख्य रूप से दो देशों को होगा पहला चीन और दूसरा ईरान ये दोनो देश बेहद क्रूर और आक्रामक है। चीन का विस्तारवाद और ईरान का कट्टरपंथ दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरेंगे। अपने निजी हितों के लिए ये मानवता को ताक पर रख देंगे। दो खेमों में बटी दुनिया के लिए तीसरा विश्व युद्ध ही आखरी रास्ता होगा। वर्ष 2024 की चिंगारी वर्ष 2026 में आग बनकर फैलना शुरू कर देगी और फिर वर्ष  2031 में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लेगी। यह लड़ाई भगवान को मानने और न मानने वालो के बीच होगी। इस युद्ध में कई देश अपना लोहा मनवाने के लिए आधुनिक हथियारों से ऐसा तांडव मचाएंगे कि धरती कांपने लगेगी। अंत में असंख्य परमाणु बम ज्वालामुखी की तरह फुट पड़ेंगे और इस तरह मानव सभ्यता अपने अंत के लिए ईश्वर से भीख मांगेगी। इस युद्ध में किसी के हाथ कुछ भी नही लगेगा और अंत में मानवता 800 वर्षो तक इसकी कीमत चुकाएगी।

⚕️3rd Master 

Friday, 18 September 2020

▲ मृगवर्णीका

नमस्ते,

मैंने इससे पहले भी कई बार कोशिश की है लेकिन मै खुद को तैयार न कर सका। इस बात को आप तक पहुंचाने के लिए मैंने कई बार अपने फैसलों में तब्दीली की है।  मुझे लगता है कि यह बात मुझे आप सभी के साथ साझा करनी चाहिए। सही समय कभी नहीं आता लेकिन यह हमारी सोच का हिस्सा रहा है बस इसलिए हम अपनी समझ के अनुसार परिस्थितियां बनाते है और प्रतिक्रिया करते है।

यह घटना लगभग 7 माह पहले फरवरी की एक शाम मेरे साथ घटित हुई। जब मै यूहीं टहल रहा था, अचानक एक महाशय जो मेरे अच्छे परिचित है, मेरे पास से गुजरे मैंने उनकी तरफ देखा और उन्हें नमस्ते कह कर उद्बोधित किया। उन्होंने भी प्रतिक्रिया में मुझसे पूछा कि आप कैसे है? मैंने कहा मै ठीक हु । उन्होंने फिर मुझसे पूछा कि इन दिनों तुम क्या कर रहे हो?  मैंने कहा वहीं जो मै करता हूं । मेरे प्रति भावुक और चिंता जनक अहसास के साथ उन्होंने कहा, ठीक है लेकिन तुम्हे और बेहतर करना चाहिए क्यों कि तुम इतने प्रभावी नहीं हो और कोई चमत्कार नहीं होने वाला, तुम्हे अपने प्रयत्नों से ही किसी बड़े मुकाम को हासिल करना है। मैंने हां कहकर उनके अगले सभी सवालों को टाल दिया और वहां से चला गया। उन्होंने जो भी मुझसे कहा था मै उन शब्दों को मन ही मन दोहरा रहा था। पहला वाक्य की तुम इतने प्रभावी नहीं हो, और दूसरा यह कि कोई चमत्कार नहीं होने वाला, ये दोनों वाक्य मेरे ज़हन में गहराई तक उतर गए । मैं बुरे समय में खुद के प्रति सहज और सकारात्मक रवैया रखता हू ताकि कोई नकारात्मक चीज मुझ पर हावी न हो सके और यह मेरी एक खूबी है कि मै हमेशा कुछ न कुछ सीखने और खोजने में लगा रहता हूं । मै किसी ऐसी चीज को खोज रहा था जो मुझे बेहद प्रभावी बना सके मैंने अपनी सारी शक्ति किसी ऐसी चीज को खोजने में लगा दी जो सच में मुझे प्रभावी बना सके। मै लगातार खोज में लगा रहा मैंने महसूस किया कि हर चीज अजीब ठंग से घटित हो रही है जैसे हर चीज में जादू हो और चमत्कारी तरीके से मेरे सामने प्रकट होती हो, आखिर कार एक दिन ब्रम्हांड का रहस्य मेरी आंखो के सामने लिखित रूप में व्यक्त हुआ। इसका मतलब वही है, जो आप चाहते है! मैंने उसे खुद अपनी दुनियां में आकर्षित किया, यह मुझे चमत्कारी तरीके से मिला क्यों कि मैंने इसी तरह के विचार और एहसासों को तब तक महसूस किया जब तक मैंने इसे हासिल ना कर लिया। मै अपनी शारीरिक बनावट और दुबले पन से कभी हताश नहीं हुआ पर ज्यादा प्रभावी होने के तरीकों के बारे में सोचता रहता। प्रभावी होने की मेरी कमी को मेरे शब्दों ने पूरा कर दिया और इसका प्रभाव आज आप इस घटना के व्याख्यान को पढ़ रहे है मेरे लिखे शब्दों ने ही आपको इसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया है और ये सब मैंने उस रहस्य को जान कर हासिल किया क्यों कि उसमे लिखा था "आपकी ख्वाहिश मेरा हुक्म है।" इसका मतलब यही हैं कि मैंने ही उस रहस्य को अपने जीवन में आकर्षित किया था। मैंने एक स्पष्ट चाह, विचार और अहसास के जरिए उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया। इसका मतलब यह है कि आप जो चाहते है अगर उसके प्रति आप स्पष्ट है तो बस आपने मांग लिया है। इस तरह के विचार जो ऐच्छिक वस्तु से जुड़े अहसास को निरंतर पैदा करते है ऐसे विचारो से ही आप वह सब हासिल कर सकते है, जो आप चाहते है। आप वहीं है, जिसकी आपने कल्पना की थी। इसने मेरी जिंदगी बदल दी, इसने मुझे ज्यादा खुशी महसूस करने की काबिलियत दी, इसने मुझे वो बना दिया जो मै बनना चाहता हू, मैंने अपने लिए यह दुनिया चुनी है अब आप की बारी है कोई भी चीज रहस्य बनकर नहीं रह सकती अगर आप में उसे जानने की इच्छा हो । एक स्पष्ट विचार के साथ ब्रम्हांड में अपनी दुनिया की खोज कीजिए , ब्रम्हांड आपके विचारो पर अमल करेगा और फिर यह जादुई तरीके से आप के सामने प्रकट होगा आखिर जादू और चमत्कार इसी दुनिया में होते है।

धन्यवाद्।

▲Third Master